जिसने इतिहास को झूठ से आज़ाद किया, अब वही संसद में हिंदू सभ्यता की बात करेंगी

15 Jul 2025 07:20:19
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इतिहासकार मीनाक्षी जैन अब संसद की आवाज़ बनेंगी। वह न केवल उच्च सदन की सदस्य होंगी, बल्कि दशकों से दबाई गई भारतीय परंपराओं और सांस्कृतिक सच्चाइयों का प्रतिनिधित्व करेंगी, जिन्हें वामपंथी इतिहासकारों ने अपने एजेंडे की आड़ में हाशिए पर रखा।
 
डॉ. मीनाक्षी जैन ने बतौर इतिहासकार सिर्फ शोध नहीं किया, बल्कि उस झूठ के खिलाफ कलम उठाई जिसने हिन्दू सभ्यता की असल तस्वीर को दबाने की कोशिश की। पद्मश्री से सम्मानित जैन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के गर्गी कॉलेज में पढ़ाया और उनकी कई किताबें आज स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा हैं।
 
वामपंथी एजेंडे के खिलाफ एक सशक्त आवाज
 
जैन ने अपने शोध और पुस्तकों के जरिए वर्षों से वामपंथी इतिहासकारों की एकतरफा व्याख्याओं को चुनौती दी है। उन्होंने दिखाया कि कैसे तथ्यों को तोड़-मरोड़कर हिन्दू सभ्यता और धार्मिक विरासत को दबाने की कोशिश की गई।
 
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उनकी किताबें ‘रामा एंड अयोध्या’ (2013) और ‘द बैटल फॉर राम: केस ऑफ द टेम्पल ऐट अयोध्या’ (2017) में अयोध्या विवाद पर ऐतिहासिक प्रमाणों के साथ विस्तार से तर्क दिए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि कैसे बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि पर बनी थी और कैसे ब्रिटिश काल से लेकर आज तक के दस्तावेज़ इस बात की पुष्टि करते हैं।
 
झूठी कहानियों की परतें खोलीं
 
जैन ने बताया कि 1989 से पहले तक अधिकांश दस्तावेज़ और साहित्यिक प्रमाण यह बताते थे कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर था। लेकिन इसके बाद कुछ वामपंथी इतिहासकारों ने इस बात को नकारने की मुहिम शुरू की। उन्होंने मुस्लिम समुदाय के एक हिस्से को भ्रम में रखा कि उनके पास राम मंदिर के खिलाफ मज़बूत कानूनी केस है।
 
जैन ने यह भी लिखा कि खुद मुस्लिम समुदाय का एक हिस्सा मंदिर के पक्ष में था, लेकिन वामपंथी इतिहासकारों ने मामले को जानबूझकर उलझाए रखा। सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में भी जिन ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख हुआ, उनकी बुनियाद जैन जैसी शोधकर्ताओं की किताबों में पहले ही दी गई थी।
 
काशी के इतिहास पर नवीनतम शोध
 
2024 में आई उनकी नई किताब ‘विष्णुनाथ राइज़ेस एंड राइज़ेस’ में मीनाक्षी जैन ने काशी की पीड़ा और पुनर्जागरण की गाथा को लिखा है। उन्होंने दिखाया कि कैसे 12वीं सदी से लेकर औरंगज़ेब के शासन तक बार-बार काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा गया, लेकिन हिन्दुओं ने हर बार उसे दोबारा बनाने का प्रयास किया।
 
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किताब में अहिल्याबाई होल्कर और मराठाओं के प्रयासों का जिक्र है, जो मंदिर पुनर्निर्माण के लिए लगातार सक्रिय रहे। जैन ने साबित किया कि काशी की आत्मा कभी मरी नहीं, वह हर बार टूटी, फिर उठ खड़ी हुई।
 
हिंदू संस्कृति की सही तस्वीर रखने वाली लेखनी
 
डॉ. मीनाक्षी जैन की कलम ने इतिहास की उस परत को उजागर किया है, जिसे तथाकथित सेकुलर और वामपंथी लेखकों ने वर्षों तक ढकने की कोशिश की। उन्होंने सती प्रथा, मंदिरों का विध्वंस, हिन्दू–मुस्लिम संबंध, और हिन्दू संस्कृति की असली तस्वीर को अपने शोध में जगह दी।
उनकी किताबें न केवल अकादमिक दुनिया में पढ़ी जाती हैं, बल्कि सामान्य पाठकों के बीच भी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे इतिहास को जटिल शब्दों में नहीं, बल्कि सरल और सटीक तथ्यों के साथ सामने लाती हैं।
 
नई पीढ़ी को मिलेगा सही इतिहास
 
राज्यसभा में उनकी मौजूदगी से उम्मीद की जा रही है कि अब नीतिगत स्तर पर इतिहास लेखन और शिक्षा प्रणाली में संतुलन आएगा। एकतरफा विचारधारा को पीछे छोड़कर, भारत की बहुलतावादी, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को वह स्थान मिलेगा जो उसे मिलना चाहिए।
 
डॉ. मीनाक्षी जैन का राज्यसभा जाना एक नई शुरुआत है। यह उस वैचारिक संघर्ष की जीत है, जिसमें वर्षों से झूठ के खिलाफ सच्चाई की कलम लड़ी। और अब यह कलम संसद में भी देश की आत्मा की आवाज़ बनकर गूंजेगी।
 
लेख
शोमेन चंद्र
तिल्दा, छत्तीसगढ़
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