कांग्रेस की बड़ी साज़िश: लोकतंत्र को बचाने नहीं, गिराने निकले राहुल गांधी

15 Sep 2025 21:04:55
Representative Image
 
कांग्रेस आज झूठ और भ्रम फैलाने वाली फैक्ट्री बन चुकी है। यह पार्टी अब भारत की सबसे भरोसेमंद संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करने और जनता का विश्वास तोड़ने का काम कर रही है। चुनाव आयोग से लेकर UPSC, सुप्रीम कोर्ट से लेकर भारतीय सेना तक, कांग्रेस की साजिशी राजनीति का शिकार हो रहे हैं। हर चुनावी हार के बाद ये संस्थाओं को पक्षपाती बता देते हैं और हर फैसले को षड्यंत्र घोषित कर देते हैं। यह संविधान की रक्षा नहीं बल्कि जनता के भरोसे की सुनियोजित हत्या है।
 
हाल के वर्षों में राहुल गांधी खुद को संविधान के रक्षक के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं। लेकिन उनके नारों और पदयात्राओं के पीछे छुपी सच्चाई कुछ और ही है। कांग्रेस ने एक सुनियोजित रणनीति बनाई है जिसमें हर संवैधानिक संस्था को शक और अविश्वास के घेरे में लाकर जनता का भरोसा तोड़ा जाए।
 
सबसे ज्यादा निशाने पर चुनाव आयोग रहता है। बिहार हो या कर्नाटक, जब भी चुनाव कांग्रेस के पक्ष में नहीं जाते, यह पार्टी वोटर लिस्ट से लेकर चुनाव तिथियों तक पर सवाल खड़े कर देती है। बिना सबूत आरोप लगाना और प्रेस कॉन्फ्रेंस में हंगामा करना अब कांग्रेस की रोजमर्रा की राजनीति बन गई है। बिहार में एक महिला से झूठा बयान दिलवाना और बाद में उसका पलटना कांग्रेस की राजनीति का ताजा उदाहरण है।
 
 
Representative Image
 
MUST READ: म्यांमार में बना राहुल का ‘वोट चोरी’ डॉक्यूमेंट! कांग्रेस फिर विदेशी हाथों के शक के घेरे में
 
राहुल गांधी की राजनीति सिर्फ आरोपों पर टिकी है। कभी राफेल पर चौकीदार चोर है का नारा, कभी कोरोना काल में वैक्सीन को मोदी वैक्सीन बताकर लोगों में डर फैलाना, कभी एलआईसी और एसबीआई पर झूठ फैलाकर आम जनता की बचत को खतरे में बताना। बाद में जब सच सामने आता है तो न राहुल जवाब देते हैं, न कांग्रेस माफी मांगती है। यही उनका असली चेहरा है।
 
राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर भी राहुल गांधी राजनीति से बाज नहीं आते। surgical strike और गलवान जैसी घटनाओं पर सेना से सबूत मांगना, चीन की भाषा बोलना और पाकिस्तान को मौका देना किसी जिम्मेदार नेता का काम नहीं। सुप्रीम कोर्ट तक ने हाल में राहुल गांधी को समझाया कि वह एक सच्चे भारतीय की तरह बयान दें।
 
कांग्रेस की राजनीति सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। डोकलाम संकट के समय राहुल का गुपचुप चीनी राजदूत से मिलना और बाद में झूठ बोलकर छुपाना गंभीर सवाल उठाता है। वहीं जॉर्ज सोरोस जैसे लोगों के एजेंडे से मेल खाते राहुल के बयान यह साबित करते हैं कि कांग्रेस की राजनीति सिर्फ वोट तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक ताकतों के हाथों का मोहरा बनने की कगार पर है।
 
राहुल गांधी हर हार को लोकतंत्र पर हमला बताकर पेश करते हैं। लेकिन असलियत यह है कि वह लोकतंत्र को बचा नहीं रहे बल्कि उसकी नींव खोद रहे हैं। कांग्रेस की इस सुनियोजित रणनीति का मकसद विपक्ष की राजनीति करना नहीं, बल्कि जनता के भरोसे को तोड़ना है। राहुल गांधी और उनकी पार्टी की इस साजिश से साफ है कि यह अब लोकतंत्र के साथ नहीं बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ खड़े हैं।
 
लेख
शोमेन चंद्र
Powered By Sangraha 9.0